Friday 5 May 2017

सुहागन महिलाएं करें ये 10 मई को ये काम, मिलेगी खुशहाल गृहस्थी 



हर सुहागन महिला ये चाहती है कि उसके घर मे सुख शांति बनी रहे, उसके सुहाग की उम्र लंबी हो, संतान के जीवन मे की कष्ट ना हो .. सौभाग्यशाली महिलाएं अपने पति की मंगलकामना तथा उनकी दीर्घायु के लिए इस कई तरह के पूजा पाठ और व्रत भी करती हैं तथा यथासंभव वस्तुओं का दान करके पुण्य की भागी भी बनती हैं। आज मै आपको बताऊगी 3 ऐसे काम जिन्हे करने पर अपके पति की आयु लंबी होने साथ आपके घर मे खुशहाली भी रहेगी।

परिवार में खुशहाली लाने के लिए  महिलाएं  पूर्णिमा के दिन स्नान आदि से निवृत होकर रसोई घर मे प्रवेश करे और गैस चुल्हे को या जिस पर भी आप खाना बनाते है उसे अच्छे से साफ करे इस के बाद खीर बनाये और इस खीर मे से एक हिस्सा कौए को खिलायें एक हिस्सा किसी गरीब को दान करे , गरीब को दान ना कर पाये तो किसी मंदिर मे दान करे बाकी बची खीर को घर के सदस्यों को खिलायें।

पूर्णिमा के दिन एक साफ पानी वाला नारियल ले और इसे अपने घर के मंदिर मे एक कलश पर रखे  और नारियल को धुप- दीपक दे और अगले दिन इस नारियल को बहते पानी मे बहा दे।

सुहागन महिलाये इस दिन दुर्गा मां के आगे श्रृंगार का पूरा समान भेटं करे।


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Thursday 30 March 2017

कन्या पूजन के बाद ना करे ये 3 काम...




नवरात्री के पावन दिन मे लोग मां को प्रसन्न रखने के लिये व्रत करते है  नवरात्र के दौरान आठवें दिन सुबह कन्या पूजन का भी विधान है। कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन अष्ठमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ रहता है नवरात्र में जितना दुर्गापूजन का महत्त्व है उतना ही कन्यापूजन का भी है | देवी पुराण के अनुसार इन्द्र ने जब ब्रह्मा जी भगवती दुर्गा को प्रसन्न करने की विधि पूछी तो उन्होंने सर्वोत्तम विधि के रूप में कन्या पूजन ही बताया।

कन्या पूजन के बाद भुलकर भी ना करे ये 3 काम
1.कन्याओं के घर से चले जाने के बाद घर मे सफाई ना करे..यहां तक की झाड़ू भी ना लगाये ये कार्य़ कन्या पूजन से पहले करे।
2.कन्या पूजन के बाद गन्दे कपड़े ना धोये.. ये काम भी एक दिन पहले कर ले।
3.कन्या पूजन के बाद नहाना , सर धोना, नाखुन काटना आदि नही करने चाहिये।

ये तीन काम कभी भी कन्या पूजन के बाद नही करने चाहिये।

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Thursday 16 March 2017

नवरात्रि मे क्या खाएं क्या ना खाएं 


भारत के सभी राज्यो में अपनी-अपनी परंपराओं के अनुसार उपवास किया जाता है। जहाँ एक ओर दिल्ली निवासी सिंघाड़े के आटे की पूड़ी से अपना व्रत सम्पूर्ण करते है वही दूसरी ओर बिहार के लोग फलहार पर उपवास रखते है। आज हम आपको नवरात्र में क्या खाएं क्या न खाएं ? इसके बारे में बातएंगे। नवरात्रि के सामान्य दिनों में आप किसी भी प्रकार के भोजन का सेवन कर सकते है। लेकिन उपवास के दौरान कुछ विशेष खाद्य पदार्थो का सेवन उचित होता है।

1.उपवास के दिन व्यक्ति को फलाहार करना चाहिए अर्थात आप फलो का सेवन कर सकते है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है की आप हर दूसरे मिनट कुछ खा रहे है। उपवास के वाले दिन भूख रहना भी किसी पुराण में नहीं लिखा है। खाये लेकिन केवल 1 से 2 बार।

2.आप दूध, दही आदि का भी सेवन कर सकते है।

3.फलो के जूस का सेवन भी किया जा सकता है।

4.सूखे मेवे भी खा सकते है।

5.दिन में एक से दो बार चाय का सेवन कर सकते है।

6.रात्रि को पूजा आदि के पश्चात् भोजन किया जाता है।

7.बहुत से लोग कुटु या सिंघाड़े के आटे की पकोड़ियों के साथ सब्जी आदि से पाना उपवास खोलते है। नवरात्रि के दौरान यहाँ भोजन में साधारण नमक के स्थान पर सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है। सेंधा नमक को व्रत के नमक के नाम से जाना जाता है। आप चाहे तो दही, साबुत दाने की खीर, और सामक के चावल का भी सेवन कर सकते है। लेकिन इस तरह के भोजन का सेवन केवल एक बार अर्थात रात्रि को ही किया जाता है।

8.कुछ लोग उपवास में नमक से परहेज करते है इसलिए वे नवरात्रि व्रत में भी नमक का सेवन नहीं करते। यहाँ के लोग फल, दूध, दही और पनीर आदि के सेवन से अपने व्रत को सम्पूर्ण करते है। नवरात्रि के दौरान बहुत से लोग कुटु के आटे आदि की पूरी का सेवन भी नहीं करते। वे पूरे नौ दिन फलहार पर रहते है और केवल फलो का ही सेवन करते है। इस दौरान वे अन्न के सेवन से परहेज करते है।

9.कुछ लोग नवरात्रि के दौरान दिन में आलू से बानी पकौडी और चीले भी खाते है। जबकि कुछ लोग पुरे दिन में केवल एक बार भोजन ग्रहण करते है। हर परिवार अपनी-अपन परंपरा अनुसार व्रत रखते है और उसे सम्पूर्ण करते है। इसके अलावा कुछ लोग मीठे पकवान जैसे घीये और मूंगफली की बर्फी का भी सेवन करते है।

नवरात्रि में क्या न खाएं ?
नवरात्र माँ दुर्गा का त्यौहार है और भगवन से जुड़े किसी भी कार्य में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है इसीलिए नवरात्रि के दौरान कुछ खाद्य पदार्थो से परहेज करना चाहिए। इन खाद्य पदार्थो की सूचि नीचे दी गयी है।
1.हिन्दू धर्म के अधिकतर लोग नवरात्रि के दौरान लहसुन का सेवन नहीं करते।

2.इस दौरान अपने खाने में प्याज को भी सम्मिलित नहीं किया जाता।

3.कई लोग इस दौरान मांसाहारी भोजन से परहेज करते है।

4.ऐसे भी कई लोग है जो नवरात्रि के दौरान शराब आदि का सेवन भी नहीं करते।

5.इसके अलावा कुछ लोग व्रत के दौरान नमक का सेवन भी नहीं करते। जबकि कुछ लोग एक बार सेंधा नमक से निर्मित भोजन का सेवन करते है ।
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देवी को प्रसन्न करना है तो नवरात्री मे पहने इऩ रंगो के कपड़े





नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की आराधना की जाती है, यह तो आप जानते हैं। लेकिन आराधना के इन नौ दिनों में 9 अलग-अलग रंगों का भी शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। जानिए कौन से हैं... 

1 पहला दिन - नवरात्रिर का पहला दिन मां शैलपुत्री की आराधना का दिन होता है। मां शैलपुत्री का पसंदीदा रंग लाल है, जो कि उल्लास, साहस और शक्ति का रंग माना जाता है। इस दिन लाल रंग का प्रयोग करने पर मां... शैलपुत्री शीघ्र प्रसन्न होकर निर्णय क्षमता में वृद्धि करती हैं और इच्छिनत फल प्रदान करती है।  

2 दूसरा दिन - नवरात्रित का दूसरा दिन, मां ब्रम्हचारिणी की आराधना के लिए विशेष दिन होता है। मां ब्रम्हचारिणी, कुंडलिनी जागरण हेतु शक्ति प्रदान करती हैं। मां ब्रम्हचारिणी को पीला रंग अत्यंत प्रिय है।... अत: नवरात्रि  के दूसरे दिन पीले रंग के वस्त्रादि का प्रयोग कर मां की आराधना करना शुभ होता है।  

3. तीसरा दिन - तृतीयं चंद्रघंटेती, अर्थात नवरात्रिै के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। मां चंद्रघंटा की आराधना में हरे रंग का विशेष महत्व है। इस दिन हरे रंग का प्रयोग कर मां की कृपा एवं सुख... शांति प्राप्त की जा सकती है।

4.  चौथा दिन - मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप का पूजन नवरात्िवं के चौथे दिन किया जाता है। रोगों को दूर कर, धन, यश की प्राप्ति के लिए सिलेटी रं से आप मां कुष्मांडा को प्रसन्न कर सकते हैं।   

5 पांचवा दिन - नवरात्रिं का पांचवा दिन मां स्कंदमाता की आराधना के लिए समर्पित है। मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी है, अत: इनका पसंदीदा रंग भी तेज से परिपूर्ण अर्थात नारंगी है। इस दिन नारंगी रंग का प्रयोग शुभ फल प्रदान करता है।  

6 छठा दिन - नवरात्रित का छठा दिन यानि मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की आराधना का दिन। ऋषि कात्यायन की पुत्री मां कात्यायनी को सफेद रंग प्रिय है, जो शांति का प्रतीक है। 

7 सप्तमी - सप्तमी तिथि को मां कलरात्रिन की आराधना की जाती है। मां कालरात्रिू का पसंदीदा रंग गुलाबी है, अत: मां दुर्गा के इस स्वरूप के पूजन में गुलाबी रंग का प्रयोग शुभ होता है। इस दिन गुलाबी वस्त्र धारण करें। 

8 अष्टमी - नवरात्रिग की अष्टमी तिथि, महागौरी का समर्पित है। मां महागौरी  भक्तों में प्रसन्नता का संचार करती हैं। इस दिन हल्का नीला या आसमानी रंग का प्रयोग बेहद शुभ माना जाता है, जो असीम शांति प्रदान है।  
9 नवमी - नवरात्रि  के नौंवे दिन, मां दुर्गा के सिद्धीदात्री स्वरूप का पूजन होता है। मां सिद्धीदात्री के पूजन में भी आप हल्के नीले रंग का उपयोग कर सकते हैं। चंद्रमा की पूजा के लिए यह सर्वोत्तम दिन है। 
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नुकसान से बचने के लिये नवरात्री मे ना करे ये काम



 नवरात्रि के व्रत में इन बातों का रखना चाहिए खास ख्याल

1.नवरात्रि में नौ दिन का व्रत रखने वालों को दाढ़ी-मूंछ और बाल नहीं कटवाने चाहिए। पर इस दौरान बच्चों का मुंडन करवाना शुभ होता है।

2. नौ दिनों तक नाखून नहीं काटने चाहिए।

3. अगर आप नवरात्रि में कलश स्थापना कर रहे हैं, माता की चौकी का आयोजन कर रहे हैं या अखंड ज्योति‍ जला रहे हैं तो इन दिनों घर खाली छोड़कर नहीं जाएं।

4.इस दौरान खाने में प्याज, लहसुन और नॉन वेज बिल्कुल न खाएं।

5.नौ दिन का व्रत रखने वालों को काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए।

6.व्रत रखने वाले लोगों को बेल्ट, चप्पल-जूते, बैग जैसी चमड़े की चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

7.व्रत रखने वालों को नौ दिन तक नींबू नहीं काटना चाहिए।

8. व्रत में नौ दिनों तक खाने में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. खाने में कुट्टू का आटा, समारी के चावल, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, सेंधा नमक, फल, आलू, मेवे, मूंगफली खा सकते हैं।

9. विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के समय दिन में सोने, तम्बाकू चबाने से भी व्रत का फल नहीं मिलता है.।

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Tuesday 14 March 2017

कलावा या मौली बांधना  कितना है फायदेमंद 


अगर गौर किया जाए तो लगभग सभी धर्मों में पूजा-पाठ आदि से संबंधित नियम होते हैं, और इस सभी नियम और संस्कारों के स्वास्थ लाभ होते हैं और ये वैज्ञानिक तौर पर भी देखा गया है। हिंदू धर्म में भी पूजा-पाठ और शुभ अवसरों पर कलाई पर मौली यानी कलावा बांधा जाता है। क्या कभी आपने सोचा है कि इसके पीछे क्या कारण हो सकता है? नहीं! तो चलिये जानते हैं कि कलाई पर मौली यानी कलावा बांधने के पीछे क्या स्वास्थ लाभ हैं और क्या इसे वैज्ञानिक कारणों से भी बांधा जाता है। -

शास्त्रों के मुताबिक मौली या कलावा बांधने की परंपरा की शुरुआत देवी लक्ष्मी और राजा बलि के द्वारा की गई थी। कलावे को रक्षा सूत्र भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कलाई पर इसके बाधे पाने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है। मान्यता है कि कलावा बांधने से तीनों देवों - ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा बनती है। साथ ही तीनों देवियों सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती की भी कृपा मिलती है। वहीं वेदों में लिखा है कि वृत्रासुर से युद्ध के लिये जाते समय इंद्राणी शची ने भी इंद्र की दाहिनी भुजा पर रक्षासूत्र (जिसे मौली या कलावा भी कहते हैं) बांधा था। जिससे वृत्रासुर को मारकर इंद्र विजयी बने और तभी से रक्षासूत्र या मौली बांधने की प्रथा शुरू हुई।

कहा जाता है कि मौली में उक्त देवी या देवता अदृश्य रूप से विराजमान रहते हैं, और इसीलिये पूजा करके यह कलावा या रक्षा सूत्र बांधा जाता है। मौली का धागा कच्चे सूत से बनाया जाता है और यह कई रंगों जैसे, लाल, पीला, सफेद या नारंगी आदि का होता है। मान्यता है कि इसे हाथों पर बांधने से बरक्कत भी होती है।


शरीर विज्ञान के हिसाब से शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर जाती हैं। जब कलाई पर मौली या कलावा बांधा जाता है तो इससे इन नसों की क्रिया नियंत्रित होती हैं। इससे त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) को काबू किया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से काफी हद तक बचाव होता है।


पुरुषों और अविवाहित लड़कियों के दाएं हाथ में और विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में मौली या कलावा बांधा जाता है। मान्यता है कि वाहन, बही-खाता, मेन गेट, चाबी के छल्ले और तिजोरी आदि पर भी पवित्र मौली या कलावा बांधने से लाभ होता है। मौली से बनी सजावट की वस्तुएं घर में रखने से बरक्कत होती है और खुशियां आती हैं।
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घर में नहीं होनी चाहिए ये चीजें


सुख-समृद्धि पर घर की चीजों का भी सीधा असर होता है। यदि घर में अशुभ फल देने वाली एक भी चीज है तो वह अन्य शुभ चीजों के असर को खत्म कर सकती है। यहां जानिए पक्षियों और कीड़ों से जुड़ी कुछ ऐसी चीजें,जो घर में हो तो पैसा पानी की तरह बह जाता है,यानी कड़ी मेहनत के बाद भी न तो बचत होती है और ना ही सुख मिलता है। ये सभी चीजें जंगल में ही रहनी चाहिए,घर में नहीं।
कबूतर का घोंसला:-
कभी-कभी घर में कबूतर घोंसला बना लेते हैं, ये नकारात्मक असर पैदा करता है। इससे घर में अस्थिरता का वातावरण बनता है। साथ ही, इसकी वजह से घर में धन संबंधी परेशानियां भी बढ़ सकती हैं। इसीलिए घर में से ये घोंसला हटा देना चाहिए।
मधुमक्खी का छत्ता:-
जिन घरों में ठीक से साफ-सफाई नहीं हो पाती है, वहां मधुमक्खियां छत्ता बना लेती हैं। मधुमक्खियां का डंक वैसे ही खतरनाक होता है। इनके काटने से हमें त्वचा से संबंधित परेशानियां हो जाती हैं। साथ ही, इनकी वजह से घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। ये छत्ता गंदगी का संकेत देता है।
मकड़ी का जाल:-
मकड़ी के जाले भी घर में गरीबी को बढ़ाते हैं। ये भी साफ-सफाई के अभाव में ही बनते हैं। लक्ष्मी ऐसे स्थान पर निवास नहीं करती है, जहां गंदगी होती है। इसीलिए मकड़ी के जाले घर में नहीं बनने देने चाहिए, ये दुर्भाग्य के सूचक होते हैं।
घर में चमगादड़ होना या इनका आना-जाना:-
यदि किसी घर में चमगादड़ रहने लगे या आना-जाना शुरू कर दे तो ये दुर्भाग्य बढ़ाने वाली बात है। चमगादड़ नकारात्मक शक्तियों का प्रतीक है। इसकी वजह स्वास्थ्य और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए इन्हें घर में आने से रोकना चाहिए।

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